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घर में लगाएं ये 6 औषधीय पौधे, करते हैं घर के डॉक्‍टर का काम

October 30, 2021 at 09:28AM
औषधीय पौधे आयुर्वेद का जरूरी हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल सदियों से रोगों का उपचार करने के लिए किया जा रहा है। हर्बल उपचार में शारीरिक और मानसिक कल्याण को ठीक करने की क्षमता होती है। इनके गुणों के कारण ही अब लोग अपने आसपास या फिर घरों में इन पौधों को लगाने पर जोर दे रहे हैं। औषधी से भरपूर सभी पौधे आपके लिए फायदेमंद साबित हों, ये जरूरी नहीं है। इनके रिस्क और साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी बीमारी के लिए एक सही पौधा चुनना ऐसे व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल है, जो बिना दवा के ठीक होना चाहता है। ऐसे में विशेषज्ञ डेबरा रोज विल्सन ने सबसे प्रभावी और चिकित्सीय पौधों के बारे में बताया है, जिनके पीछे एक वैज्ञानिक प्रमाण है।

औषधीय गुणों से भरपूर पौधे आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। अगर आप इन पौधों का उपयोग अपनी अच्छी सेहत के लिए करना चाहते हैं, तो आपको सबसे शक्तिशाली औषधीय पौधों के बारे में जानना चाहिए।


घर में लगाएं ये 6 औषधीय पौधे, नहीं पड़ेगी कभी डॉक्‍टर के पास जाने की जरूरत

औषधीय पौधे आयुर्वेद का जरूरी हिस्सा है, जिसका इस्तेमाल सदियों से रोगों का उपचार करने के लिए किया जा रहा है। हर्बल उपचार में शारीरिक और मानसिक कल्याण को ठीक करने की क्षमता होती है। इनके गुणों के कारण ही अब लोग अपने आसपास या फिर घरों में इन पौधों को लगाने पर जोर दे रहे हैं।

औषधी से भरपूर सभी पौधे आपके लिए फायदेमंद साबित हों, ये जरूरी नहीं है। इनके रिस्क और साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। इसलिए किसी भी बीमारी के लिए एक सही पौधा चुनना ऐसे व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल है, जो बिना दवा के ठीक होना चाहता है। ऐसे में विशेषज्ञ डेबरा रोज विल्सन ने सबसे प्रभावी और चिकित्सीय पौधों के बारे में बताया है, जिनके पीछे एक वैज्ञानिक प्रमाण है।



​लैवेंडर
​लैवेंडर

Sciencedirect

में छपे एक अध्ययन के अनुसार, डेंटल प्रॉब्लम से पीडि़त लोगों के लिए लैवेंडर बहुत असरदार साबित होता है। जबकि इंटरनेशनल जर्नल ऑफ न्यूरोसाइंस में छपी एक रिसर्च के अनुसार लैवेंडर मूड को बहुत प्रभावित करता है। एक अध्ययन से पता चला है कि एंटी इंफ्लेमेट्री गुणों के कारण लैवेंडर को अक्सर अरोमाथैरेपी में इस्तेमाल किया जाता है। ध्यान रखें इसे लगाने पर त्वचा में हल्की जलन महसूस हो सकती है। इसके अलावा इसे पतला किए बिना लगाने पर यह हार्मोन में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।



​कैमोमाइल
​कैमोमाइल

कैमोमाइल एक ऐसा औषधीय पौधा है, जिसमें एंटी एंजाइटी गुण होते हैं। औषधि के रूप में यह काफी सेफ है और पॉवरफुल भी। वैसे ज्यादातर लोग इसे एक टी फ्लेवर के रूप में जानते हैं। लेकिन इसे तरल पदार्थ, कैप्सूल या फिर टैबलेट के रूप में भी लिया जा सकता है। PubMed Central में छपी एक स्टडी की मानें तो एन्जाइटी डिसऑर्डर का इलाज करने में यह बहुत फायदेमंद है। लेकिन कभी-कभी यह एलर्जी के लिए भी जिम्मेदार होता है।



​अलसी
​अलसी

प्लांट बेस डाइट सप्लीमेंट के बीच अलसी भी एक सुरक्षित विकल्पों में से एक है।

एक अध्ययन के अनुसार

, अलसी में ब्लड प्रेशर और मोटापे को कम करने की भी क्षमता है।

अलसी का सेवन करने का सबसे अच्छा तरीका इसे अपने भोजन में शामिल करना है। अनाज या सलाद पर पिसे हुए बीज छिड़कें या फिर सलाद ड्रेसिंग में अलसी का तेल मिलाएं। बता दें कि अलसी के बीज महिलाओं में एस्ट्रोजन के उत्पादन को प्रभावित करते हैं। अलसी के बीज कभी कच्चे ना खाएं, क्योंकि यह जहरीले होते हैं।



​टी-ट्री ऑयल
​टी-ट्री ऑयल

टीट्री ऑयल एथलीट फुट, छोटे घाव, कीड़े के काटने या त्वचा की स्थिति में सुधार करने के लिए अच्छा है।

एक अध्ययन में

कहा गया है कि टी ट्री ऑयल मुहांसे पैदा करने वाले माइक्रोब्स के विकास को धीमा करने में सक्षम है। इसलिए इसका उपयोग ज्यादातर असेंसिशल ऑयल के रूप में किया जाता है। विशेषज्ञ के अनुसार, टी ट्री ऑयल का मौखिक रूप से उपयोग जहर समान है। इतना ही नहीं, यह आपके हार्मोन को भी प्रभावित कर सकता है।



​अंगूर के बीज का अर्क
​अंगूर के बीज का अर्क

सदियों से अंगूर के बीज का अर्क का इस्तेमाल गोलियों और कैप्सूल के रूप में किया जाता रहा है। एंटीऑक्सीडेंट की उपस्थिति इसमें बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने और पैरों की नसों में खराब ब्लड सकुर्लेशन के लक्षणों को कम करने के लिए अच्छी है।

छपे

एक अध्ययन

में इस बात की पुष्टि की गई है कि अंगूर के बीज के अर्क के नियमित सेवन से कैंसर सेल्स को विकसित होने से रोकने में मदद मिलती है। लेकिन यदि आप खून को पतला करने वाली दवाएं लेते हैं, तो सावधान रहें। यह शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकता है।



​हल्दी
​हल्दी

हल्दी प्राचीनकाल से अपने औषधीय गुणों के लिए जानी जाती रही है। क्योंकि हल्दी एक शानदार जड़ी-बूटी है। हल्दी खाना पकाने में इस्तेमाल होने वाला एक मुख्य मसाला है। माना जाता है कि भारत में उत्पन्न होने वाली हल्दी में एंटी कैंसर गुण होते हैं और यह डीएनए म्यूटेशन को रोक सकते हैं। एंटीइंफ्लेमेट्री होने के नाते इसे एक सप्लीमेंट के रूप में भी लिया जाता है। गठिया वाले लोगों के लिए यह बहुत फायदेमंद है।

एक स्टडी

के अनुसार, हल्दी कई तरह के त्वचा रोगों और जॉइंट अर्थराइटिस को ठीक करने में बहुत फयदेमंद है। विशेषज्ञ के अनुसार, सप्लीमेंट के रूप में हल्दी का ज्यादा इस्तेमाल नुकसानदायक है। वहीं लंबे समय तक इसका इस्तेमाल पेट की समस्या का कारण बन सकता है





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