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पेशंट निकली कोरोना पॉजिटिव तो फूट-फूटकर रोई डॉक्टर

July 01, 2020 at 07:14AM
आज डॉक्टर्स डे है। डॉक्टर्स यानी हमारे चिकित्सक, जो हमें हर रोग और दर्द से आराम दिलाने के लिए अपनी पूरी ताकत और पूरा ज्ञान लगा देते हैं। तभी तो इन्हें भगवान का दूसरा रूप कहा जाता है। हम भले ही डॉक्टर्स को भगवान का दूसरा रूप कह लें या साक्षात भगवान...लेकिन हमें इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए कि जब स्वयं भगवान इंसान का रूप लेकर इस धरती पर आए थे तब समस्याओं और कष्टों से उनका भी सामना हुआ था...ऐसा ही सामना हमारे डॉक्टर्स भी करते हैं, अपने मरीजों का इलाज करते समय कई बार खुद उनकी जान पर खतरा मंडराने लगता है। आज हम डॉक्टर्स के वैसे ही अनुभवों के बारे में खुद उन्हीं से जानेंगे... बात कोरोना से ही शुरू करते हैं... -इस समय कोरोना महामारी ने दुनियाभर में आतंक मचा रखा है। हर तरफ हेल्थ एक्सपर्ट्स और मेडिकल प्रफेशन से जुड़े लोग इस बीमारी का तोड़ खोजने में लगे हैं। अब तक इस बीमारी का कोई हल तो नहीं निकल पाया लेकिन हमारे कई बहादुर डॉक्टर्स मरीजों को बचाते-बचाते इस संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवा बैठे। इस बीमारी से जुड़ा एक डरावना अनुभव दिल्ली की लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर विद्या शर्मा के साथ हुआ। -विद्या सर्जन तो हैं ही लेकिन एक 5 साल के बच्चे की मां हैं और खुद प्रेग्नेंट भी हैं। कोरोना पैंडेमिक के बीच परिवार ने उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी लेने की सलाह दी। लेकिन कुछ पेशंट्स की गंभीर स्थिति के चलते विद्या ने ऐसा ना करने का फैसला लिया। उन्होंने ठान लिया कि जब तक वे अपने पेशंट्स की सर्जरी और उनकी केयर कर सकती हैं, तब तक करेंगी। लेकिन इसी बीच उन्हें पता चलता है कि जिस पेशंट का उन्होंने पिछले दिनों ऑपरेशन किया था, जिसमें कोरोना के कोई लक्षण नहीं दिखाई दे रहे थे, वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई है...यह कोरोना संक्रमण के उस शुरुआती चरण की बात है, जब इस बीमारी के बारे में वैज्ञानिक अधिक से अधिक जानकारी जुटाने के प्रयासों में लगे थे। -इस बात को जानने के बाद डॉक्टर विद्या टेंशन में तो आईं लेकिन फिर हिम्मत बांधी और निर्णय लिया कि वे जल्द से जल्द अपना कोरोना टेस्ट कराएंगी और इससे पहले खुद को होम आइसोलेशन में रखेंगी ताकि परिवार और दूसरे मरीजों को खतरा ना हो। विद्या यह सब प्लानिंग कर शाम को हॉस्पिटल से घर जाने की तैयारी कर ही रहीं थीं कि उनकी मेड का फोन आया और उसने कहा 'दीदी, जल्दी घर आ जाइए आपके बेटे को तेज बुखार हो रहा है...' विद्या तुरंत घर के लिए निकलीं और जाकर बेटे को दवाई दी। उनका 5 साल का बेटा बुखार से तप रहा था। -डॉक्टर विद्या के पति भी डॉक्टर हैं और उन्होंने तुरंत अपने पति को फोन कर घर आने के लिए कहा। जैसे ही उनके हज्बंड घर पहुंचे डॉक्टर विद्या फूट-फूटकर रोने लगीं... दरअसल यह एक डॉक्टर नहीं बल्कि बुखार में तपते एक छोटे बच्चे की मां रो रही थी। विद्या खुद अपने बच्चे के बुखार के लिए खुद को दोषी मान रहीं थीं और उनके मन में बार-बार यही खयाल आ रहा था कि अपने मरीजों से कोरोना का संक्रमण लाकर उन्होंने अनजाने में ही सही अपने बच्चे को बीमार बना दिया। वो इस कदर टूट गईं थीं कि उन्होंने हॉस्पिटल फोन कर अपने सीनियर्स से रोते हुए बताया कि अब वो अपनी सेवाएं जारी नहीं रख पाएंगी क्योंकि उनकी वजह से उनका बच्चा बीमार हो गया है... -खैर, सभी ने उन्हें हिम्मत बंधाई और ईश्वर की कृपा से उनका बच्चा कोरोना नेगेटिव निकला और जल्दी ही ठीक हो गया... लेकिन आप और हम इस बात की कल्पना जरूर कर सकते हैं कि बतौर मां और बतौर गर्भवती महिला डॉक्टर विद्या किस तरह के मानसिक संघर्ष से गुजरी होंगी...ये बहादुर मां और समर्पित डॉक्टर इस घटना के 3 दिन बाद ही फिर से अपने मरीजों की सेवा में जुट गई... NBT ऑनलाइन की टीम ऐसे समर्पित डॉक्टर्स को उनकी सेवाओं और जज्बे के लिए नमन करती है...।। सायकाइट्रिस्ट करते हैं सबसे अधिक सुइसाइड -डॉक्टर राजेश कुमार एक मनोचिकित्सक हैं और दिल्ली के एक जानेमाने हॉस्पिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। अपने प्रफेशन से जुड़े अनुभवों के बारे में इनका कहना है कि पूरी मेडिकल फील्ड में सायकाइट्रिस्ट्स का सुसाइडल रेट सबसे अधिक है! इसकी सबसे बड़ी वजह है कि अपने मरीजों का डिप्रेशन और नकारात्मकता दूर करते-करते कब खुद मनोचिकित्सक इसकी चपेट में आ जाते हैं, कई बार उन्हें खुद भी पता नहीं चल पाता है। -हमारे पास आने वाले हर मरीज की लाइफ दुखों और बुरे अनुभवों से भरी होती है। हम दिनभर जितने भी मरीज देखते हैं, उनके दुख सुनते-सुनते और उन्हें इन दुखों से बाहर निकालने की कोशिशों के बीच अक्सर ड्यूटी के बाद हमें भी लगने लगता है कि जीवन में कितना दुख है, जैसे हर तरफ सिर्फ नेगेटिविटी है। ऐसे में कई बार खुद हमें अपनी काउंसलिंग करनी पड़ती है तो कभी-कभी साथी काउंसलर्स का भी सहारा लेना पड़ जाता है। कई बार मेडिसिन्स लेने की स्थिति भी बन जाती है... और अगले दिन फिर हमें अपने मरीजों के दुख-दर्द और बीमारी को दूर करने के प्रयास में जुटना होता है... मरीजों से लगा संक्रमण और डॉक्टर का पूरा परिवार पड़ा बीमार -आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर सुरेंद्र सिंह राजपूत अपने ऐसे ही अनुभव के बारे में याद करते हुए बताते हैं कि 'कुछ वर्ष पुरानी बात है, मॉनसून के सीजन में फ्लू बहुत भंयकर तरीके से फैला हुआ था। मैं पूरी सावधानी के साथ अपने पेशंट्स का इलाज कर रहा था और इस बात की पूरी कोशिश कर रहा था कि खुद को संक्रमण से सुरक्षित रख सकूं। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया मैं फ्लू की चपेट में आ गया। बस फिर क्या था मेरे बच्चे, पत्नी और माता-पिता सब फ्लू से ग्रसित हो गए। -कुछ दिनों तक तो स्थिति इतनी गंभीर हो गई थी कि घर में एक-दूसरे को खाना-पानी देने की स्थिति में भी कोई नहीं था। ऐसे में कुछ दिन तक हमारा खाना हमारे पड़ोसी के घर से आया। इस घटना के बाद से हर बार मैं फ्लू और संक्रमण के मरीजों का इलाज करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतता हूं और खासतौर पर मॉनसून में इस तरह के केस ज्यादा आते हैं तो इस दौरान मैं अपने परिवार और बच्चों से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करता हूं। मुझे इस नियम को अपनाते हुए करीब 24 साल हो गए हैं।' हर तरह का समर्पण करते हुए अपने मरीजों का इलाज करनेवाले ऐसे सभी डॉक्टर्स को हम टीम एनबीटी और अपने सभी पाठकों की तरफ से बारंबार धन्यवाद करते हैं...और इस डॉक्टर्स-डे पर ईश्वर से अपने सभी चिकित्सकों के लिए स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं... Happy Doctor's Day


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