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क्या गाय का दूध पीने से कोरोना वायरस खत्म हो सकता है? जानिए अमेरिकी वैज्ञानिकों का क्या है दावा

March 14, 2022 at 12:02PM
कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए मामले बेशक कम हो गए हैं लेकिन इस खतरनाक वायरस का प्रकोप अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि कोरोना का अब तक का सबसे घातक वेरिएंट ओमीक्रोन (Omicron) अपना रूप बदलकर या डेल्टा (Delta) के साथ मिलकर एक बार फिर तबाही मचा सकता है। वैज्ञानिकों को डर है कि अगले कुछ महीनों में कोरोना की चौथी लहर (Covid 4th wave) आ सकती है।कोरोना का अब तक कोई स्थायी इलाज (Covid treatment) नहीं मिला है और फिलहाल वैक्सीन को ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों को ऐसे बड़े सबूत मिले हैं कि गाय का दूध पीने से कोविड इन्फेक्शन को खत्म करने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन जर्नल ऑफ डेयरी साइंस में पढ़ने के लिए उपलब्ध है।यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और ग्लेनबिया पीएलसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के शोधकर्ताओं ने गाय दावा किया है कि गाय के दूध में एक ऐसा खास प्रोटीन पाया जाता है, जो कोरोना का कारण बनने वाली सार्स-को-2 (SARS-CoV-2) वायरस को रोक सकता है। चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला।(फोटो साभार: istock by getty images)

Coronavirus treatment: कोरोना का अब तक कोई स्थायी इलाज नहीं मिला है और फिलहाल वैक्सीन को ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों को ऐसे बड़े सबूत मिले हैं कि गाय का दूध पीने से कोविड इन्फेक्शन को खत्म करने में मदद मिल सकती है।


COVID-19 Fact Check: क्या गाय का दूध पीने से कोरोना वायरस खत्म हो सकता है? जानिए अमेरिकी वैज्ञानिकों का क्या है दावा

कोरोना वायरस (Coronavirus)

के नए मामले बेशक कम हो गए हैं लेकिन इस खतरनाक वायरस का प्रकोप अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि कोरोना का अब तक का सबसे घातक वेरिएंट

ओमीक्रोन (Omicron)

अपना रूप बदलकर या डेल्टा (Delta) के साथ मिलकर एक बार फिर तबाही मचा सकता है। वैज्ञानिकों को डर है कि अगले कुछ महीनों में कोरोना की

चौथी लहर (Covid 4th wave)

आ सकती है।

कोरोना का अब तक कोई स्थायी इलाज

(Covid treatment)

नहीं मिला है और फिलहाल वैक्सीन को ही इसके खिलाफ सबसे बड़ा हथियार माना जा रहा है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों को ऐसे बड़े सबूत मिले हैं कि गाय का दूध पीने से कोविड इन्फेक्शन को खत्म करने में मदद मिल सकती है। यह अध्ययन

जर्नल ऑफ डेयरी साइंस

में पढ़ने के लिए उपलब्ध है।

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन और ग्लेनबिया पीएलसी रिसर्च एंड डेवलपमेंट के शोधकर्ताओं

ने गाय दावा किया है कि गाय के दूध में एक ऐसा खास प्रोटीन पाया जाता है, जो कोरोना का कारण बनने वाली सार्स-को-2 (SARS-CoV-2) वायरस को रोक सकता है। चलिए जानते हैं क्या है पूरा मामला।

(फोटो साभार: istock by getty images)



गाय के दूध में ताकतवर प्रोटीन 'लैक्टोफेरिन'
गाय के दूध में ताकतवर प्रोटीन 'लैक्टोफेरिन'

वैज्ञानिकों का मानना है कि

लैक्टोफेरिन एक प्रोटीन है

, जो अधिकतर स्तनधारियों के दूध में पाया जाता है। इस अध्ययन बताया गया है कि गाय के दूश में पाया जाना वाला यह प्रोटीन कई रोगाणुओं, वायरस और अन्य रोगजनकों के खिलाफ काम करता है।



कोरोना वायरस को बेअसर करने की क्षमता
कोरोना वायरस को बेअसर करने की क्षमता

वैज्ञानिकों ने पाया कि लैक्टोफेरिन ने लक्ष्य कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने की कोरोना वायरस की क्षमता को बाधित करके सार्स-को-2 संक्रमण को रोक दिया। गाय के दूध के प्रोटीन ने कोशिकाओं के एंटीवायरल डिफेंस मैकेनिज्म बढ़ाने में भी मदद की।



कोरोना का बेहतर उपचार
कोरोना का बेहतर उपचार

वैज्ञानिकों ने बताया कि गाय का दूध पीने से इसमें मौजूद प्रोटीन लैक्टोफेरिन को वायरल संक्रमण की गंभीरता में सुधार कर दिया था जिसमें रोटावायरस और नोरोवायरस शामिल हैं। लैक्टोफेरिन की एंटीवायरल प्रभाव और कम साइड इफेक्ट को देखते हुए वैज्ञानिक इसे कोरोना वायरस के खिलाफ निवारक उपचार के रूप में देख रहे हैं।



कोरोना के सभी वेरिएंट से लड़ने की ताकत
कोरोना के सभी वेरिएंट से लड़ने की ताकत

लेखकों ने लैक्टोफेरिन का सार्स-को-2 के विभिन्न वेरिएंट पर परीक्षण किया, जैसे कि

WA1 वेरिएंट,

जो साल 2020 में अमेरिकी में पहली कोरोना वायरस लहर का कारण बना। शोधकर्ताओं ने निष्कर्ष निकाला है कि लैक्टोफेरिन भविष्य के कोरोना

वायरस के विभिन्न वेरिएंट के खिलाफ समान एंटी-वायरल लाभ

प्रदान कर सकता है। जबकि अन्य दूध में पाए जाने वाले पोषक तत्वों ने कोई एंटी-वायरल लाभ प्रदान नहीं किया।



कोरोना के हल्के लक्षणों का सस्ता इलाज
कोरोना के हल्के लक्षणों का सस्ता इलाज

शोध की मानें तो लैक्टोफेरिन में एंटीवायरल प्रभाव हैं और इसमें कोरोना सहित अन्य संक्रामक रोगों को रोकने या उनका इलाज करने की ताकत है लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि मौजूदा समय में जब में उपचार के विकल्प बहुत महंगे हैं, तो यह सस्ता और बेहतर उपचार विकल्प साबित हो सकता है।





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