86 Kg की इस डॉक्टर ने कर दिखाया गजब का Body Transformation, रोटी-चावल खाकर भी घटा लिया 28 किलो वजन

क्या आप लंबे समय से वजन घटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। लेकिन फिर भी अपने लक्ष्य को हासिल नहीं कर पा रहे हैं। अगर हां तो 40 साल की शांभवी भल्ला की वेट लॉस जर्नी आपके काम आ सकती है। आइए जानते हैं कैसे उन्होंने 28 किलो वजन घटाया।

आज के समय में खुद को फिट रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि लोगों के पास अपनी फिटनेस को बनाए रखने के लिए समय ही नहीं है। इस स्थिति में लोग अक्सर वजन घटाने या खुद को फिट रखने का शॉर्टकट ढूंढते नजर आते हैं। लेकिन कुछ लोग सही दिशा पकड़ते हैं और वजन घटा लेते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया था 40 साल की महिला डॉक्टर शाम्भवी ने।
शांभवी भल्ला का वजन इतना ज्यादा बढ़ गया था, कि वह अपने रोजाना के काम भी ठीक से नहीं कर पाती थी। इसके अलावा वह शीशे में खुद को देखती थी तो हताश हो जाया करती थी। साथ ही वह अपनी हेल्थ को लेकर भी चिंतित थी। खुद को ऐसी स्थिति में पा कर शांभवी ने तय किया, कि वह अपना वजन घटाएंगी। इसके बाद जीवनशैली और खानपान में कुछ बदलाव के जरिए उन्होंने 28 किलो वजन घटा लिया। आइए जानते हैं क्या थे वह बदलाव और कैसे हुआ यह असंभव काम संभव।
नाम - डॉक्टर शांभवी भल्ला
प्रोफेशन - डेंटल सर्जन
उम्र - 40 साल
लंबाई - 165 सेमी
अधिकतम वजन - 86 किलोग्राम
वेट लॉस - 28 किलोग्राम
वजन घटाने में समय - 2 साल
(Image Credit: TOI)
ऐसे हुई जर्नी शुरू

शांभवी बताती हैं कि वजन बढ़ने का उनके शरीर पर खासा असर हो रहा था। उन्हें ऐसा लगता था कि उनके शरीर में कोई ऊर्जा है ही नहीं। साथ ही वह अपने रोजाना के काम भी ठीक से नहीं कर पाती थी। इसके अलावा वह अपने स्वास्थ्य को लेकर हमेशा चिंतित रहती थी। शांभवी कहती हैं कि जब भी वह खुद को शीशे में देखती थी तो निराश हो जाया करती थी। खुद को इसी स्थिति में पाकर उन्होंने
शुरू कर दिया। वह बताती हैं कि इस दौरान सही आहार और पोषक तत्व के बारे में उन्हें पता चला।
ऐसी थी डाइट

ब्रेकफास्ट -
कॉफी के साथ ब्रेड और आमलेट
लंच -
रोटी और पनीर भुर्जी,
, सलाद
डिनर -
अंडे और चावल, साथ में सब्जियां और दही
प्री - वर्कआउट -
दूध वाली कॉफी
पोस्ट वर्कआउट मील -
चीट डे -
शांभवी कहती हैं कि वह डाइट से चीट नहीं करती, क्योंकि उन्हें ऐसा करने की कोई वजह ही नहीं समझ आती।
लो कैलोरी रेसिपीज -
आमलेट, ब्रेड और सेब
वर्कआउट था ऐसा

शांभवी सप्ताह में 6 दिन
करती हैं। वह रेसिस्टेंस ट्रेनिंग करना पसंद करती हैं। साथ ही वह मानती हैं कि स्ट्रेंथ बिल्ड करने में वेट ट्रेनिंग काफी मददगार साबित रही।
फोकस्ड रहने का तरीका

शांभवी कहती हैं कि जिस तरह ब्रश करना किसी की जिंदगी का हिस्सा होता है। उसी तरह ट्रेनिंग भी उनकी जिंदगी का हिस्सा बन गया है।
वजन बढ़ने की मुश्किल बात

वह बताती हैं कि वजन बढ़ने की सबसे मुश्किल बात यह थी कि वह ऊर्जा हीन महसूस करने लगी थी। साथ ही वह जो काम करना चाहती थी, वह भी ठीक से नहीं कर पाती थी। इसके अलावा उनका स्वास्थ्य बढ़ते वजन की वजह से न बिगड़ जाए। इस बात का डर भी उन्हें सताता रहता था।
अंग्रेजी में इस स्टोरी को पढ़ने के लिए
डिस्क्लेमर : लेखक के लिए जो चीजें काम आईं जरूरी नहीं है कि आपके लिए भी काम करें। तो इस लेख में बताई गई डाइट-वर्कआउट को आंख मूंदकर फॉलो करने से बचें और पता करें कि आपके शरीर के लिए सबसे अच्छा क्या काम करता है।
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