सर्जरी तक की आ सकती है नौबत, अगर डायबिटीज में नहीं दिया पैरों पर ध्यान; जानें क्या कहते हैं एक्सपर्ट

डायबिटीज वाले लोगों में पैरों का सुन्न होना, घाव होना फुट अल्सर का संकेत है। यह डायबिटीज का एक ऐसा साइड इफेक्ट है, जिसे आहार, व्यायाम या इंसुलिन जैसे तरीकों से मैनेज नहीं किया जा सकता। बल्कि इसके लिए पैरों को सुरक्षित रखने की जरूरत होती है।

डायबिटीज से जूझ रहे लोगों को पैरों में समस्या रहती है। यह समस्या लंबे समय तक हाई ब्लड शुगर लेवल के कारण विकसित होती है, जिसे डायबिटिक फुट अल्सर कहते हैं। डायबिटिक फुट अल्सर मधुमेह वाले व्यक्ति के पैर में एक घाव है, जो आमतौर पर तलवों की सतह पर देखा जाता है। उम्र और डायबिटीज के बढऩे के साथ पैर के अल्सर का खतरा और बढ़ जाता है।
एंडोक्रिनोलॉजिस्ट डॉ.आस्था गुप्ता के अनुसार, डायबिटीज का लेवल बढ़ने से पैरों की नसें सिकुड़ने लगती हैं। जिस वजह से नसें खराब होने लगती हैं। इसके खराब होने से कुछ मरीजों के पैरों में सुन्नपन आ जाता है, तो किसी को घाव और जलन की शिकायत शुरू हो जाती है। ये आपके अंगूठे से लेकर पैरों की हड्डियों तक को प्रभावित कर सकता है। ऐसी सभी परेशानियों से बचने के लिए मरीज को अपना शुगर लेवल मेंटेन रखना चाहिए।
क्या हैं फुट अल्सर के लक्षण

पैरों के अल्सर के पहले लक्षणों में से एक है पैरों से पानी बहना। एक या दोनों पैरों में असामान्य सूजन, जलन, लालिमा और दुर्गंध भी इसके शुरूआती लक्षण हैं।
एक गंभीर पैर के अल्सर का गंभीर लक्षण है अल्सर के आसपास का काला टिश्यू। अल्सर के पास के हिस्सों में ठीक से ब्लड सकुर्लेशन न हो पाने की स्थिति में यह बनता है।
हमेशा ही स्पष्ट नहीं होते। कभी-कभी अल्सर के संक्रमित होने तक आपको अल्सर के लक्षण दिखाई भी नहीं देंगे। लेकिन यदि आप स्किन डिस्कलरेशन, या दर्द महसूस करते हैं तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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डायबिटिक फुट अल्सर के कारण

मधुमेह वाले लोगों में फुट अल्सर की वजह खराब सकुर्लेशन, हाइपरग्लेसेमिया, नर्व डैमेज और पैर में घाव है।
की वजह से कई बार फुट अल्सर को ठीक होने में बहुत समय लगता है।
हाई ग्लूकोज लेवल संक्रमित पैर के अल्सर की उपचार प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। खासतौर से टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए अल्सर के संक्रमण से लड़ना बहुत कठिन साबित होता है।
डैमेज हुई नसों में दर्द और तनाव महसूस हो सकता है। नर्व डैमेज पैरों के दर्द के प्रति संवेदनशीलता को कम कर देती है, जो अल्सर का कारण बनता है।
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मधुमेह में पैर के अल्सर का क्या है इलाज

एक्स-रे
पैर का अल्सर एक गंभीर स्थिति है, जिसके लिए तुरंत इलाज किया जाना जरूरी है। अल्सर के आसपास के टिशू को यह जानने के लिए लैब में भेजा जाता है कि कौन सा एंटीबायोटिक इस स्थिति में मदद करेगा। यदि डॉक्टर को किसी गंभीर संक्रमण का संदेह है , तो वह हड्डी के संक्रमण के लक्षण को देखने के लिए एक्स रे के लिए कह सकता है।
दवाइयां

अगर अल्सर ठीक होने लायक है, तो डॉक्टर अल्सर के इलाज के लिए एंटीबायेाटिक, एंटीप्लेटलेट या एंटीक्लोटिंग दवाएं लिख सकता है।
सर्जरी

गंभीर मामले में डॉक्टर मरीज को सर्जरी की सलाह देगा। वैसे इसकी जरूरत बहुत कम पड़ती है। लेकिन अगर कोई विकल्प आपके अल्सर को ठीक नहीं कर पाए, तो सर्जरी आपके अल्सर को बदतर बनने से रोकने में मदद कर सकती है।
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डायबिटिक फुट अल्सर में ध्यान रखें ये बातें

रोजाना अपने
डालें।
पैर की उंगलियों के नाखून नियमित रूप से काटें।
नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
। खाने में बहुत ज्यादा कैलेारी न लें। थोड़ी-थोड़ी देर बाद खाने का सेवन करें।
शुगर लेवल और कैलोरीज रोजाना चैक करते रहें।
डायबिटीज के मरीज अपने पैरों को साफ रखें। खासतौर से पैर के तलवों को सूखा रखें।
रोजाना पैरों को छोटे शिशे की मदद से देखें कि कोई घाव तो नहीं है।
पैरों में हमेशा सॉफ्ट सॉक्स पहनें।
मधुमेह वाले लोगों को फुट अल्सर के लिए खास डिजाइन किए हुए जूते पहनने चाहिए।
डायबिटीज के मरीज नंगे पैर बाहर न निकलें और चोट से बचे रहें।
अल्सर से होने वाले दर्द को रोकने के लिए पैरों पर ज्यादा दवाब न डालें।
आप एक डायबिटिक पेशंट हैं और आपके पैरों में दर्द है, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। प्रतीक्षा करने पर संक्रमण की संभावना और ज्यादा बढ़ जाएगी। इलाज के बाद भी अल्सर को ठीक होने में कई सप्ताह लग सकते हैं, इसलिए इस बीमारी के प्रति लापरवाही न बरतते हुए जितनी जल्दी हो सके, डॉक्टर से संपर्क करें।
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