अधिक वजन और मोटापे की वजह है यह हॉर्मोन, जानें शरीर में फैट बढ़ने की प्रक्रिया
November 30, 2020 at 12:38PM
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लेप्टिन एक ऐसा हॉर्मोन है जो मोटापे और वजन से सीधा संबंध रखता है। हालांकि हॉर्मोनल असंतुलन हमारे पूरे शरीर और सेहत पर असर डालता है। मोटापे और वजन से जूझ रहे लोग भी पूरी तरह हॉर्मोन्स के असंतुलन से प्रभावित होते हैं। लेकिन शरीर में जमा फैट से आपके वजन को बढ़ाने की प्रक्रिया में लेप्टिन नाम का हॉर्मोन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह हॉर्मोन आपके शरीर में जमा अतिरिक्त फैट से रिलीज होता है और ब्रेन को सिग्नल भेजने का काम करता है। साथ ही केवल एक मील से दूसरे मील (भोजन) के बीच के समय को नहीं बल्कि लंबे समय तक शरीर के अंदर भोजन की जरूरत को रेग्युलेट (विनियमित) करने का काम करता है। शुरुआती स्तर पर यह हॉर्मोन हमारे शरीर के वजन को नियंत्रित करता है लेकिन कुछ खास स्थितियों में यह शरीर का वजन बढ़ाने लगता है। शुरुआती स्तर पर कैसे काम करता है? -शुरुआती स्तर पर लेप्टिन फैट को नियंत्रित करता है। क्योंकि यह फैट सेल्स से ही रिलीज होता है। किसी व्यक्ति के शरीर में लेप्टिन कितनी मात्रा में रिलीज होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि किसी व्यक्ति के शरीर में कितना फैट जमा है। शरीर में लेप्टिन की जरूरत -लेप्टिन हमारे शरीर के अंदर संतुष्टि प्रदान करनेवाले हॉर्मोन के रूप में काम करता है। यह हमारी भूख को नियंत्रित करने और ऊर्जा के उत्पादन में संतुलन स्थापित करने का कार्य करता है। ताकि जब तक शरीर में ऊर्जा की कमी ना हो तब तक हमारा शरीर भोजन की मांग ना करे और हमें भूख ना लगे। -लेकिन जब कोई व्यक्ति वजन घटाने की इच्छा से भूखा रहना शुरू कर देता है तो लेप्टिन से जुड़ी प्रक्रिया कहीं अधिक जटिल हो जाती है और इसी कारण भूखा रहने से वजन कम होने की वजाय शरीर में कमजोरी अधिक बढ़ने लगती है। क्योंकि जब शरीर ठीक से काम कर रहा होता है तो शरीर में जमा अतिरिक्त वसा की कोशिकाएं लेप्टिन का उत्पादन करती हैं। -ऐसे में लेप्टिन हाइपोथैलेमस को ट्रिगर करता है और भूख को कम करता है। ताकि शरीर में जमा वसा से भूख शांत रह सके। लेकिन जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक मोटा होता है तो उसके शरीर में लेप्टिन बहुत अधिक मात्रा में बनता है। यही वजह है कि बहुत अधिक मोटे लोगों के ब्लड में लेप्टिन का स्तर बहुत अधिक पाया जाता है। ऐसी स्थिति लेप्टिन रेजिस्टेंट कहलाती है क्योंकि इस स्थिति में व्यक्ति के शरीर में लेप्टिन को लेकर जरूरी संवेदनशीलता देखने को नहीं मिलती है। -जब शरीर लेप्टिन रेजिस्टेंट होता है तो भूख शांत होने और पेट भरने का अहसास नहीं होता है। इसलिए व्यक्ति को बार-बार भूख लगती रहती है और व्यक्ति शरीर की जरूरत से ज्यादा खा लेता है। दूसरी तरफ उसके शरीर में जमा फैट से लेप्टिन का उत्पादन लगातार होता रहता है ताकि उसे तृप्ति होने का अहसास हो सके। यही स्थिति वजन और बनती है।
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