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सीढ़ियां चढ़ने का नया फायदा, ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा

November 30, 2020 at 06:27PM
अक्सर लोग एक-दूसरे को लिफ्ट की जगह सीढ़ियों का उपयोग करने की सलाह देते हुए दिख जाते हैं...क्योंकि फिटनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता और कम मेहनत के साथ खुद को ऐक्टिव रखने की चाह हर व्यक्ति के अंदर है। लेकिन ऐसा शायद ही किसी ने सोचा होगा कि कोरोना महामारी के दौर में सीढ़ियां चढ़ने के अपने खास फायदे होंगे... कोरोना महामारी के चलते पब्लिक प्लेस पर जाना और शारीरिक रूप से बहुत अधिक ऐक्टिव रहना फिलहाल सभी के लिए बेहद कम हो गया है। ऐसे में फैट बढ़ना, बीपी हाई रहना, तनाव बढ़ना और शरीर में जगह-जगह दर्द रहने जैसी समस्याएं बहुत आम हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी हो सकती है कि इन सभी समस्याएं के समाधान के रूप में आप सीढ़ियां चढ़ने और उतरने की प्रक्रिया को अपना सकते हैं। यानी अगर आप दिन में जितनी बार संभव हो उतना अधिक सीढ़ियां चढ़ें और उतरेंगे तो आप कई तरह की शारीरिक और मानसिक बीमारियों से बचे रहेंगे। ऐसा हम नहीं कह रहे हैं बल्कि एक ताजा रिसर्च में यह बात सामने आई है। यदि आप उन लोगों में शामिल हैं जिन्हें पहले भी एंग्जाइटी, स्ट्रेस या डिप्रेशन जैसी समस्याएं रह चुकी हैं तो हर दिन सीढ़ियां चढ़ना और उतरना आपके लिए बहुत जरूरी है। स्टडी में यह भी सामने आया है कि पड़ोस में रहनेवाले लोगों के यहां जाना, उनसे कुछ देर बात करना भी आपको महामारी के दौरान कई तरह की समस्याओं से बचाने में काफी कारगर प्रक्रिया है। लेकिन इस दौरान आप कोरोना की गाइडलाइन्स का पालन जरूर करें। कोरोना महामारी में तन और मन से जुड़ी सबसे अधिक संख्या में लोगों को प्रभावित करनेवाली बीमारियों को कंट्रोल करने के तरीकों पर आधारित यह स्टडी जर्नल साइंस अडवांस में पब्लिश ( Journal Science Advances) हुई है। यह रिसर्च जर्मनी के दो अलग-अलग हेल्थ इंस्टिट्यूट्स ने मिलकर की है। इनके नाम कार्ल्सरुहे प्रौद्योगिकी संस्थान (Karlsruhe Institute of Technology) और केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य संस्थान (Central Institute of Mental Health)हैं। शोध में इस बात का भी पता लगाया गया है कि सीढ़ियां चढ़ते और उतरते समय दिमाग का कौन-सा हिस्सा केंद्रीय भूमिका अदा करता है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि दिमाग में सबजेनिकल सिंगुलेट कॉर्टेक्स का एक भाग सेरेब्रल कॉर्टेक्स मनुष्य की रोजमर्रा की जिंदगी और गतिविधियों के बीच तालमेल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह दिमाग का वह हिस्सा होता है, जहां इंसान की भावनाओं और मनोविकारों को रेग्युलेट किया जाता है। जिन लोगों के दिमाग के इस हिस्से में ग्रे ब्रेन मैटर (Gray Brain Matter) कम होता है, उनमें सायकाइट्रिक डिसऑर्डर होने की आशंका अधिक होती है।


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