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पुरुषों में सेक्शुअल डिस्फंक्शन की वजह होती है यह प्रक्रिया

July 30, 2020 at 12:12PM
महिलाओं में मेनॉपॉज 45 से 55 साल की उम्र में होता है जबकि पुरुषों में यह 50 से 60 साल की उम्र के बीच होता है। महिलाओं की तरह पुरुषों को भी इस दौरान अपनी मेंटल और फिजिकल हेल्थ का ध्यान रखने की जरूरत होती है। जिन पुरुषों को इस स्थिति से निपटने के लिए पूरी जानकारी नहीं होती है, उन्हें अक्सर की समस्या का सामना करना पड़ता है... पहले डॉक्टर्स से जानें... -मेल मेनोपॉज के बारे में बताते हुए डॉक्टर वेदप्रकाश शर्मा कहते हैं कि यह एक नैचरल प्रॉसेस है, जिसे लेकर जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है। आमतौर पर पुरुष अपने स्वास्थ्य को लेकर बहुत ही बेफिक्र रवैया रखते हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ भी कायम रहता है। ऐसे में जब उन्हें सेक्शुअल लाइफ से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ता है तो पहले तो वे आराम से किसी के साथ अपनी समस्या को खुद ही स्वीकार नहीं कर पाते हैं और अगर ऐसा कर लेते हैं तो किसी के साथ इस समस्या पर बात करने में उन्हें बहुत असहजता होती है। जबकि सेहत से जुड़े मुद्दों पर खुलकर बात होनी चाहिए और इस तरह के विषयों को लेकर जैसा माहौल हमारे समाज में है, उसमें बदलाव की जरूरत है। क्या होते हैं शरीर में बदलाव? -पुरुषों में जब मेनॉपॉज की स्थिति आती है, तब उनके शरीर में मानसिक और भावनात्मक बदलाव लगभग वैसे ही होते हैं, जैसे महिलाओं के शरीर में। इस वक्त पुरुषों को मुख्य रूप से भावनात्मक उतार-चढ़ाव की स्थिति का सामना करना पड़ता है। वे पहले की तुलना में बहुत इमोशनल हो जाते हैं और कई बार खुद को कमजोर और अकेला अनुभव करते हैं। मानसिक समस्याएं घेरने लगती हैं -पुरुषों में ऐस्ट्रोजन हॉर्मोन की कमी के चलते न्यूरॉलजिकल दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। इनमें ऐंग्जाइटी, टेंशन और अपने काम पर फोकस ना कर पाने जैसी समस्याएं शामिल हैं। कुछ पुरुषों को तो इस दौरान मेमोरी लॉस जैसी परेशानियां भी हो जाती हैं। मूड स्विंग्स का दौर चलता है -पुरुषों में 50 साल की उम्र के बाद ऐस्ट्रोजन हॉर्मोन का बनना कम होने लगता है। इस बदलाव का सीधा असर पुरुषों की मानसिक स्थिति पर पड़ता है। उनमें मूड स्विंग्स बहुत अधिक देखने को मिलते हैं। इस कारण वे चिड़चिड़े और कई बार एकांत प्रिय भी हो जाते हैं। नसों में आ जाती है कमजोरी -जो पुरुष मेनॉपॉज की उम्र में सही देखभाल और पूरी जानकारी के अभाव में तनावपूर्ण जीवन जी रहे होते हैं, उनमें अक्सर नींद ना आने की समस्या देखी जाती है। धीरे-धीरे यह स्थिति स्लीप डिसऑर्डर में बदल जाती है। नींद पूरी ना हो पाने के कारण ये लोग हर समय थकान का अनुभव करते हैं। शारीरिक और मानसिक किसी भी तरह के कार्यों में इनका मन नहीं लगता और गुस्सा, इरिटेशन, झुंझलाहट जैसी समस्याएं बढ़ने लगती हैं। -लगातार यह स्थिति बनी रहने पर पुरुष शारीरिक गतिविधियों से दूर होने लगते हैं और अकेले बैठना या कम बोलना शुरू कर देते हैं। शारीरिक रूप से ऐक्टिव ना रहने के कारण उनकी मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं। शरीर में रक्त का प्रवाह कम होने से नसों में कमजोरी आ जाती है, जिसका सीधा असर उनके दैनिक जीवन पर पड़ता है। क्या हैं बचाव के तरीके? -महिलाओं की तरह ही पुरुषों के जीवन में भी मेनोपॉज जीवन का एक हिस्सा है। इसके बारे में जरूरी जानकारी जुटाएं, अपनी सेहत का ध्यान रखें, तनाव ना लें और जीवन में आते हुए बदलावों और बढ़ती हुई उम्र को स्वीकार करें। इससे आपको अपनी जिंदगी खुशहाल बनाए रखने में सहायता मिलेगी। किसी भी तरह की समस्या होने पर उसकी अनदेखी ना करें और अपने डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें।


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